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हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (एम.ए.) एक व्यापक पाठ्यक्रम है, जिसका उद्देश्य छात्रों में हिंदी भाषा, साहित्य तथा इसके विकासशील रूपों की गहन समझ को विकसित करना है। यह पाठ्यक्रम जहाँ एक ओर विषय की शास्त्रीय परंपराओं में निहित है, वहीं दूसरी ओर समकालीन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रति भी सचेत और सतर्क है।
यह कार्यक्रम छात्रों में आलोचनात्मक चिंतन, विश्लेषणात्मक क्षमता एवं हिंदी साहित्य की विरासत के प्रति गहन समझ को विकसित करता है। अंतःविषयी दृष्टिकोण के माध्यम से विद्यार्थी शास्त्रीय एवं आधुनिक हिंदी संदर्भों, साहित्य सिद्धांत, तुलनात्मक साहित्य, रचनात्मक लेखन, तथा मीडिया एवं अनुवाद में हिंदी की भूमिका का अध्ययन करते हैं।
कार्यक्रम में अनुसंधान पद्धति (रिसर्च मेथडोलॉजी) पर विशेष बल दिया गया है, जिससे छात्र शैक्षणिक, साहित्यिक एवं व्यावसायिक क्षेत्रों में अग्रसर होने हेतु सक्षम बनते हैं।
चाहे लक्ष्य शिक्षक, शोधकर्ता, लेखक, अनुवादक, पत्रकार अथवा सांस्कृतिक क्षेत्र के विशेषज्ञ बनने का हो, इस पाठ्यक्रम के छात्र हिंदी साहित्य एवं उसकी व्यावहारिक उपयोगिता में एक सुदृढ़ आधार समझ प्राप्त करते हैं, जो उन्हें आज के वैश्विक एवं बहुभाषी परिप्रेक्ष्य में सफल बनाता है।
साहित्य का गहन ज्ञान: विद्यार्थी प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक एवं समकालीन संदर्भों में रचित हिंदी साहित्य की समग्र एवं विस्तृत समझ विकसित करेंगे।
आलोचनात्मक एवं विश्लेषणात्मक चिंतन: छात्र साहित्यिक ग्रंथों, सांस्कृतिक संदर्भों एवं सैद्धांतिक प्रश्नों का गहन विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करेंगे।
उन्नत भाषा-प्रवीणता: हिंदी भाषा पर सशक्त नियंत्रण, लिखित एवं मौखिक दोनों रूपों में, जिससे प्रभावी अभिव्यक्ति, शैक्षणिक लेखन तथा संवाद संभव हो सके।
अनुसंधान दक्षता: स्वतंत्र अनुसंधान करने की योग्यता, उपयुक्त शोध पद्धतियों का प्रयोग तथा शोध प्रबंधों एवं अकादमिक लेखन के माध्यम से साहित्य के क्षेत्र में योगदान देने की क्षमता विकसित करेंगे।
रचनात्मक एवं विद्वत्तापूर्ण लेखन कौशल: मौलिक एवं रचनात्मक साहित्यिक कृतियों की सर्जना तथा विद्वत्तापूर्ण लेख, समीक्षाएँ एवं समालोचनाएँ लिखने की योग्यता का विकास होगा।
सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक चेतना: हिंदी साहित्य के अध्ययन द्वारा भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक एवं ऐतिहासिक परिस्थितियों की गहरी समझ होगी।
व्यवसायिक तत्परता: शिक्षण, पत्रकारिता, प्रकाशन, अनुवाद, लेखन एवं मीडिया जैसे विविध क्षेत्रों में कार्य करने हेतु समुचित कुशलता प्राप्त होगी।
नैतिक एवं सामाजिक संवेदनशीलता: छात्रों में सामाजिक चेतना, सांस्कृतिक सौहार्द एवं नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करने वाले कारकों के प्रति दृष्टि का विकास होगा।
तुलनात्मक एवं अंतःविषयी दृष्टिकोण: हिंदी साहित्य को अन्य क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं वैश्विक साहित्यिक परंपराओं से जोड़ने की अंतर्दृष्टि, विशेषकर तुलनात्मक अध्ययन के माध्यम से – क्षमता का विकास होगा।
आजीवन शिक्षण की प्रवृत्ति: सतत बौद्धिक विकास, साहित्यिक सहभागिता एवं मानविकी के क्षेत्र में निरंतर योगदान की प्रेरणाका विकास होगा।
हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (एम.ए.) की विशेषताएँ
समग्र साहित्यिक पाठ्यक्रम
अनुसंधान एवं आलोचनात्मक चिंतन पर विशेष बल
अंतःविषयी दृष्टिकोण – दर्शन, इतिहास, स्त्री अध्ययन, सिनेमा एवं मीडिया तथा अन्य विमर्श
रचनात्मक एवं व्यावसायिक लेखन कौशल
तुलनात्मक अध्ययन दृष्टि
भाषिक प्रवीणता पर बल
विशिष्ट व्याख्यान एवं कार्यशालाएँ
डिजिटल एवं अभिलेखीय उपकरणों का प्रयोग
पेशेवर उन्मुख अध्ययन
सांस्कृतिक साक्षरता का संवर्धन
हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हेतु करियर के अवसर
हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि (एम.ए.) छात्रों के लिए विविध शैक्षणिक, रचनात्मक तथा व्यावसायिक क्षेत्रों में अवसरों के द्वार खोलती है। इस पाठ्यक्रम के स्नातक भाषा-प्रवीणता, विश्लेषणात्मक क्षमता तथा संप्रेषण कौशल से सुसज्जित होते हैं, जिससे वे अनेक क्षेत्रों में बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं:
अकादमिक एवं शिक्षा क्षेत्र
प्रवक्ता / सहायक प्राध्यापक
विद्यालय शिक्षक (बी.एड. उपरांत)
शोधार्थी / पीएच.डी. अभ्यर्थी
शैक्षणिक विषय-वस्तु लेखक
मीडिया एवं पत्रकारिता
हिंदी रिपोर्टर / समाचार संपादक
विषयवस्तु लेखक / कॉपी संपादक
टीवी, रेडियो एवं डिजिटल मंचों हेतु पटकथा लेखक
समाचार वाचक / प्रस्तुतकर्ता (हिंदी मीडिया)
अनुवाद एवं व्याख्या
अनुवादक (सरकारी एवं निजी क्षेत्र)
स्वतंत्र साहित्यिक अनुवादक
उपशीर्षक एवं डबिंग विशेषज्ञ
हिंदी-अंग्रेज़ी या हिंदी-क्षेत्रीय भाषाओं के लिए व्याख्याकार
प्रकाशन एवं रचनात्मक लेखन
लेखक / कवि / निबंधकार
संपादक / प्रूफ़ रीडर
साहित्यिक प्रतिनिधि अथवा समीक्षक
सिविल सेवा एवं सरकारी क्षेत्र
संघ लोक सेवा आयोग / राज्य सेवा परीक्षा (हिंदी वैकल्पिक विषय)
हिंदी अधिकारी / राजभाषा अधिकारी (सरकारी विभागों में)
कर्मचारी चयन आयोग (SSC), बैंकिंग एवं अन्य सरकारी नौकरियाँ
रंगमंच, फिल्म एवं सांस्कृतिक संस्थान
संवाद लेखक / गीतकार
सांस्कृतिक कार्यक्रम समन्वयक
कला, संस्कृति एवं साहित्य परियोजनाओं में शोधकर्ता
डिजिटल कंटेंट एवं ई-लर्निंग
हिंदी कंटेंट निर्माता / ब्लॉगर / इन्फ्लुएंसर
ई-लर्निंग मंचों हेतु भाषा विशेषज्ञ
एस.ई.ओ. लेखक (हिंदी डिजिटल मंचों पर)
पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
अवधि: 2 वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम
कुल क्रेडिट: 80 क्रेडिट
प्रथम सत्र | द्वितीय सत्र |
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हिंदी साहित्य का इतिहास (प्राचीन एवं मध्यकालीन) – 4 क्रेडिट (मुख्य पाठ्यक्रम) | हिंदी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल) – 4 क्रेडिट (मुख्य पाठ्यक्रम) |
प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य – 4 क्रेडिट (मुख्य पाठ्यक्रम) | प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य – 4 क्रेडिट (मुख्य पाठ्यक्रम) |
आधुनिक हिंदी गद्य (उपन्यास एवं कहानियाँ) – 4 क्रेडिट (ऐच्छिक पाठ्यक्रम) | आधुनिक हिंदी गद्य (नाटक एवं अन्य विधाएँ) – 4 क्रेडिट (ऐच्छिक पाठ्यक्रम) |
हिंदी में अनूदित उपन्यास एवं कहानियाँ – 4 क्रेडिट (ऐच्छिक पाठ्यक्रम) | हिंदी में अनूदित नाटक एवं आत्मकथाएँ – 4 क्रेडिट (ऐच्छिक पाठ्यक्रम) |
भाषाविज्ञान एवं हिंदी भाषा का विकास – भाग I – 4 क्रेडिट (मुख्य पाठ्यक्रम) | भाषाविज्ञान एवं हिंदी भाषा का विकास – भाग II – 4 क्रेडिट (मुख्य पाठ्यक्रम) |
प्रयोजनमूलक हिंदी – 4 क्रेडिट (ऐच्छिक पाठ्यक्रम) | अनुसंधान पद्धति – 4 क्रेडिट (ऐच्छिक पाठ्यक्रम) |
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